केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा नीतीश सरकार के विरोध में एक दिन के उपवास पर चले गए हैं. बिहार के नवादा में विरोध-प्रदर्शन कर रहे कुशवाहा ने कहा कि राज्य सरकार सेंट्रल स्कूल की जमीन के मामले को जान-बूझकर राजनीतिक दांवपेच में फंसा कर रखी हुई है.
बिहार में सेंट्रल स्कूल के लिए जमीन उपलब्ध कराने में सरकार द्वारा रुचि नहीं दिखाने पर राज्य सरकार के विरोध में उपेंद्र कुशवाहा रविवार को नवादा समाहरणालय के नजदीक रैन बसेरा के स्थित अपने कार्यकर्ता के साथ धरना पर बैठे.
कुशवाहा ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार सेंट्रल स्कूल की जमीन के मामले को जान-बूझकर फंसा कर रखी हुई है. उन्हें इस बात में जरा भी दिलचस्पी नहीं है कि राज्य में सेंट्रल स्कूल खुले. अगर सरकार को इसमें रुचि होती तो अन्य राज्यों की तरह नवादा एवं औरंगाबाद में सेंट्रल स्कूल में बच्चे पढ़ रहे होते.
कुशवाहा ने कहा कि नवादा और औरंगाबाद में सेंट्रल स्कूल की जमीन के ट्रांसफर में नीतीश कुमार की सरकार बहानेबाजी कर रही है. चयनित जमीन के हस्तांतरण के लिए राज्य सरकार जो शर्त रख रही है कि 75 प्रतिशत बिहार के बच्चों का इन स्कूलों में नामांकन हो. वो राज्य के नजरिए से तो सुनने में अच्छा लगता है मगर बिहार के बच्चों के लिए यह बिल्कुल ही अच्छा नहीं है. क्योंकि बिहार से बड़ी संख्या में बच्चे बाहर पढ़ने जाते हैं. फिर इस शर्त का क्या मतलब है? यह बस बहाना है.
उन्होंने कहा कि वैसे भी ऐसी किसी शर्त को मानने का मतलब यह है कि दूसरे राज्य भी ऐसी बात कर सकते हैं, जिससे बिहार के बच्चों का सीधा नुकसान होगा. उन्होंने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकार जमीन ट्रांसफर का कार्य एक सप्ताह के अंदर कर देती है तो वह खुद दसवें दिन है उस सेंट्रल स्कूल का उद्घाटन करने के लिए पहुँचेगे।
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