कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में भागलपुर के जवान रत्न शहीद
शहीद के गांवों में मातम के बीच उनकी शहादत पर फख्र कर रहे लोग
भागलपुर . बहुत जतन से रतन को पाला था। मजदूरी की, जूस बेचा…कपड़े की फेरी की। उसे पढ़ाया-लिखाया। 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ। पहली पोस्टिंग गढ़वा में हुई। धीरे-धीरे दुख कम होने लगा। एक ही होनहार सपूत था मेरा, वह भी भारत माता की रक्षा में शहीद हो गया। अब किसके सहारे जीएंगे।
आतंकियों काे भगवान कभी माफ नहीं करेंगे…। यह कहते हुए कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद रतन ठाकुर के पिता राम निरंजन ठाकुर फफक पड़े। बोले-गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे रतन ने पत्नी राजनंदनी को फोन किया था। कहा था कि श्रीनगर जा रहे हैं, शाम में पहुंच जाएंगे, इसके बाद बात करेंगे। शाम चार बजे उसके ऑफिस से फोन आया और रतन का मोबाइल नंबर लिया।
शंका हुई कि कहीं कुछ हुआ तो नहीं…। फिर छोटी बेटी नीतू से बोले कि जरा टीवी आॅन करो। टीवी पर आतंकी हमले की खबर चल रही थी, यह देखकर दिल बैठने लगा। रतन के बारे में जानने के लिए कमांडर को फोन मिलाया। उन्होंने कहा कि अभी कुछ नहीं बता सकते हैं। कुछ कंफर्म होगा तो बताएंगे। अब तो कोई फोन ही नहीं उठा रहा है। यह बोलते हुए वह सिसकने लगे। बताया कि मूल घर कहलगांव के अमडंडा की मदारगंज का रतनपुर गांव है। लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए शहर लेकर आ गए।
शहीद की पत्नी गर्भवती, होली में आने को कहा था : रतन के पिता ने बताया कि अभी तक उसकी पत्नी को कुछ भी नहीं बताए हैं। चार साल का पोता (कृष्णा ठाकुर) है। बहु गर्भवती है। एक दिन पहले जब रतन से फोन पर बात हुई थी तो उसने कहा था कि होली इस बार घर में मनाएंगे। छोटी बहन नीतू की शादी सरकारी नौकरी करने वाले लड़के से करेंगे, आप चिंता मत कीजिएगा…। वह दुर्गापूजा के पहले ही घर से ड्यूटी पर गया था। भावुक होकर बोले- मेरा तो सबकुछ बर्बाद हो गया। रतन की मां 2013 में ही चल बसी।
पापा ड्यूटी पर गए हैं, सबको आप बोलने के लिए कहा है
रतन के चार वर्षीय बेटे कृष्णा को पता नहीं था कि उसके पिता शहीद हो गए हैं। वह अपने दादा (राम निरंजन ठाकुर) की गोद में था। पूछने पर बोला…पापा ड्यूटी पर गए हैं।
उनसे फोन पर बात हुई थी। क्या कहा था उन्होंने। कृष्णा बोला कि पापा ने कहा है सबको आप बाेलने के लिए। पापा ने बहुत खिलौना दिया है। बंदूक है, गाड़ी है और भी बहुत सारे खिलौने। फिर अपने पापा की तस्वीर देखकर चहक उठा-देखिए, यही हैं मेरे पापा…
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